सुपारी की खेती कैसे की जाती है? | वर्तमान समय में इसका भाव |

(Betel nut cultivation) सुपारी की खेती कैसे की जाती है?

Betel nut कल्टीवेशन भारत के समुद्रतटीय इलाकों में इसकी खेती जमकर की जाती है । गुजरात, आसाम, कर्णाटक, केरल, पश्चिम बंगाल तथा महाराष्ट्र आदि जगहों पर इसकी खेती खूब की जाती है । किसान इसके खेती से लाखों से करोड़ों रूपये कमा रहे है । विश्व में सुपारी (Betel) उत्पादन में भारत का अव्वल स्थान है। आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 926 हजार हेक्टेयर में सुपारी की खेती (supari ki kheti) होती है, जिसमें 55 प्रतिशत उत्पादन अकेले भारत में होता है।

आपको जानकारी दू , Betel nut cultivation सुपारी (Betel) के पेड़ नारियल की तरह 55 से 65 फीट तक ऊंचे होते हैं, जो लगभग 6-7 सालों में फल देना शुरू कर देते हैं। भारत में सुपारी का इस्तेमाल पान, गुटखा मसाला के रूप में किया जाता है। सनातन धर्म के अनुसार सुपारी का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों तथा यज्ञ हवन आदि में भी किया जाता है । सुपारी (Betel) में कई आयुर्वेदिक औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों की रोकथाम एवं इलाज में मददगार साबित होते हैं। सुपारी में औषधिये गन तथा मांगे अधिक होने के कारन मार्किट में इसकी मांग बहुत अधिक है ।

सुपारी की खेती(Betel nut cultivation)के लिए जलवायु और मिट्टी

Betel nut cultivation भारत में सुपारी की खेती समुद्र तटीय इलाकों में की जाती है। भारत में असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक में खूब होती है। इसकी खेती के लिए गर्म जलवायु काफी उपयुक्त होती है। इसके लिए 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान काफी अच्छा माना जाता है।

Betel nut cultivation सुपारी की खेती (supari ki kheti) कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन जैविक पदार्थों से भरपूर लाल मिट्टी, चिकनी दोमट मिट्टी सुपारी की खेती के लिए फायदेमंद होता है। मिट्टी का पी.एच. मान 7 से 8 के बीच होना चाहिए।

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सुपारी की खेती के लिए उपयुक्त समय (Betel nut cultivation)

  • गर्मियों में पौधों को जुलाई से जुलाई के मध्य लगा देना चाहिए।
  • सर्दियों में बुवाई का उचित महीना नवंबर से दिसंबर का होता है।

खेत की तैयारी (Betel nut cultivation)

  • खेत की सफाई कर खेत की अच्छी तरह से जुताई करें।
  • इसके बाद खेत में पानी लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें।
  • पानी सूखने पर रोटावेटर के द्वारा खेत की अच्छी तरह जुताई करें।
  • पाटा लगा कर खेत को समतल करें।
  • पौधों की रोपाई के लिए 90 सेंटीमीटर लंबाई, 90 सेंटीमीटर चौड़ाई और 90 सेंटीमीटर गहराई के गड्ढे तैयार करें।
  • गड्ढों की आपस में दूरी 2.5 से 3 मीटर तक रखें।

सुपारी की खेती (supari ki kheti in hindi) की बात। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस Betel nut cultivation आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो हमारे इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें।

Betel nut cultivation सुपारी की खेती सबसे अधिक भारत देश में होती है आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया का 55 प्रतिषत सुपारी उत्पादन भारत में ही होती है .इसका प्रयोग पान, गुटखा मसाला के रूप में जाती है। वहीं भारतीय लोग द्वार इसका सेवन बहुत ज्यादा किया जाता है।

कहां करें सुपारी की खेती (Betel nut cultivation)

Betel nut cultivation वैसे तो सुपारी का पेड़ किसी भी मिट्टी में आसान से लग जाता है लेकिन दोमत मिट्टी ओए चिकनी मिट्टी इसके लिए ज्यादा अच्छा माना जाता है। इसके पेड़ नारियल के तरह ही बड़ा होता है लगभाग 55-60 फीट लंबा होता है। हां पेड 5-7 साल बाद फल देना शुरू कर देता है। एक बार अगर इसकी खेती लग जाए तो फिर किसान उसी पेड से 70-80 साल तक मुनाफ़ा कमाते ही रहेंगे।

Betel nut cultivation सुपारी के पौधों की खेती बीज से पौधे को तैयार करने यानी की नर्सरी तकनीक से करते हैं। सबसे पहले इसके बीजों को क्यारियों में तैयार किया जाता है . वहां पौधे के रुप में विकसित होने के बाद इसकी खेतों में रोपाई कर दी जाती है . ध्यान रखें कि जिन खेतों में इसकी रोपाई की गई है, वहां जलनिकासी की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए . यदि जल निकासी नहीं तो बना लीजिये ।

जलनिकासी के लिए खेतों में छोटी-छोटी नालियां बनके उसे पास करते रहे . बता दें कि मॉनसून की वजह से इनके पौधों को जून में लगाना सबसे उपयुक्त मन जाता है । खाद के तौर पर गोबर की खाद और कम्पोस्ट का उपयोग कर सकते हैं ।

इतना है मुनाफा (Betel nut cultivation)

Betel nut cultivation सुपारी के पौधें तकरीबन 5 से 8 सालों के बीच पैदावार देना शुरू कर देते । इसके फलों की तुड़ाई तभी करें जब इसका तीन-चौथाई हिस्सा पक गया है . बता दें बाजार में सुपारी अच्छे रेट पर बिकती है. इसकी कीमत तकरीबन 500 रूपए से लेकर 700 रूपए प्रति किलो तक होती है  .

Betel nut cultivation यदि 100 गज में 50 पेड़ है जिसमें लगभग एक पेड़ से न्यूनतम 30 किलो सुपारी निकलता है, यानि एक पेड़ से (30) 700 =2100 रुपया प्राप्त होते है अब यहाँ एक एकड़ में कुल (4840) 2= 9680 पेड़ अतः 9680 को 30 से गुना करने पर 290400 किलो सुपारी का उपज होगा, अब यदि हम इसे 700 के भाव से बेचेंगे तो 290400 गुने 700= 203,280,000 रुपया का ादनी होगा 6-7 साल में ।

सुपारी की किस्म (Betel nut cultivation)

Swarnamangala (VTL-12) इसके पेड़ अर्धलंबे से थोड़ा लंबा होता है, इसके छोटी जोड़ी से मजबूत ताना होता है। फाल का रंग गहरा पीला होता है। इसका आकार और आकार से गोल या मोटा होता है।

Vithal Areca Hybrid-1 (VTLAH-1) ये छोटे कद की किस्म है या छत्री के आकार की होती है या इसका तन बहुत ज्यादा होता है। क्या किस्मत के फाँकों का आकार और आकार होता है या ये ढेर से संतरी रंग का होता है।

इसके अलावा इनके या बहुत किस्म है जो निम्नलिखित है:-

मंगला, सुमंगला, मोहित नगर, हिरेहाली बौना

खेत की तैयारी और विजाई- मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की 2-3 बार जोताई करें। इस पौधे की रोपाई के लिए सीतांबर से कोटोबर तक जून से जुले महिना निर्धरित की गई है। सुपारी की विजय के लिए 2.7X2.7 मिटर फासला उपयुक्त होता है। 90X90X90 सेमी के आकार के गधे खोदे जाते हैं। इसे बिजों के द्वार कष्ट किया जाता है।

बिज़ का उपचार- जदों के अच्छे विकास के लिए, गधों में रोपाई से पहले, नए पौधों को IBA@1000ppm या क्लोपैरिफास मिलि प्रति पानी से 2-5 मिनट के लिए डुबोएं।

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